अधिवक्ता संघ ने 12 सूत्री मांगों को लेकर काला बिला लगाकर जताया विरोध।

 

             

पटना व्यवहार न्यायालय आज दिनांक 03/12/2020 को अधिवक्ता संघर्ष मोर्चा, बिहार के आह्वान पर पटना व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ताओं ने माननीय पटना 


उच्च न्यायालय सहित सभी न्यायालयों एवं न्यायाधिकरणों में प्रत्यक्ष, भौतिक, वास्तविक एवं नियमित न्यायिक कार्य प्रारम्भ करवाने सहित अपनी 12 सूत्री मांगों की पूर्त्ति हेतु काला बिल्ला लगाकर अपना न्यायालय कार्य प्रारम्भ किया।आज न्यायालय प्रारम्भ होते ही मोर्चा के विभिन्न घटकों ने संयुक्त रूप से व्यवहार न्यायालय, पटना परिसर में कार्यकर्त्ता प्रमुख जगदीश्वर प्रसाद सिंह एवं उप प्रमुख उपेन्द्र कुमार के नेतृत्व में स्थानीय अधिवक्ताओं को काला बिल्ला लगाया जिसे अधिवक्ताओं ने भी सहर्ष स्वीकार किया।काला बिल्ला लगवाने वालों में पूर्व सांसद राजनीति प्रसाद, बिहार बार काउंसिल के सदस्य पंकज कुमार, मोर्चा के केंद्रीय समन्वयक नीलिमा सिन्हा, अंजुम बारी, बिनोद कुमार गुप्ता, शिवानन्द गिरि, राकेश कुमार, राम आशीष ठाकुर आदि अधिवक्ताओं ने प्रमुख रूप से भाग लिया।बाद में अधिवक्तागण बैनर के साथ व्यवहार न्यायालय के पश्चिमी द्वार पर पहुँचकर अपनी निम्न मांगों की पूर्त्ति हेतु प्रतिरोध स्वरूप प्रदर्शन किया।


1.केंद्र एवं राज्य की सरकारों द्वारा जारी आवश्यक निषिद्धताओं एवं दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए माननीय पटना उच्च न्यायालय एवं इसके अधीनस्थ सभी जिला एवं अनुमंडलीय न्यायालयों में वादों का पंजीकरण, कार्यवाहियों का संचालन, साक्ष्यों का संकलन एवं सुनवाई नियमित, प्रत्यक्ष, भौतिक, वास्तविक एवं सुचारू रूप से प्रारम्भ करते हुए चलवाया जाय।

2.माननीय न्यायालय द्वारा बिहार गजट में प्रकाशित करवाई गई "ई-फाईलिंग रूल्स-2020" को पूर्णतः वापस ली जाय तथा चलायी जा रही ई-फाइलिंग, वर्चुअल कोर्ट, ह्वाट्सएप कोर्ट, वीडियो कोर्ट एवं स्टूडियो कोर्ट की व्यवस्था को समाप्त किया जाय।

3.माननीय न्यायालय में हो रहे मुद्रांक एवं दोष सम्बंधी जांच (Stamp reporting) को कालक्रम के अनुसार (Chronologically) किया जाय तथा बिना न्यायिक आदेश के जांच के क्रम में उलटफेर करनेवालों को दंडित किया जाय।साथ ही पुराने वादों की सुनवाई प्रथम पाली एवं नये वादों की सुनवाई द्वितीय पाली में की जाय।

4.सभी अधीनस्थ न्यायालयों में लंबित वादों की सूची वाद संख्या एवं कम्प्यूटर सूचना प्रणाली (CIS) की क्रम संख्या, पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं के नाम एवं अगली निर्धारित तिथियों के साथ अविलंब प्रकाशित करवाई जाय तथा उसकी सूचना प्रत्येक अधिवक्ताओं के सम्पर्क सूत्रों पर अवश्य भेजी जाय।

5.प्रत्येक न्यायालयों में लंबित वादों के आदेश फलक को प्रतिदिन कम्प्यूटर सूचना प्रणाली (CIS) पर जारी कर अवश्य दिखलायी जाय ताकि लम्बी अवधि लेकर उसकी मूल भावना के साथ छेड़छाड़ व आदेश फलक में उलटफेर न हो सके।

6.अवर न्यायाधीश स्तर के न्यायिक पदाधिकारियों को सिर्फ दीवानी वादों के निष्पादन हेतु लक्षित करते हुए उन्हें फौजदारी वादों से दूर रखा जाय अथवा उनपर सत्तर प्रतिशत दीवानी व तीस प्रतिशत फौजदारी वादों के निष्पादन का भार निर्धारित किया जाय।

7.प्रत्येक न्यायालयों में न्यायिक पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों के रिक्त पदों को अविलम्ब पूर्त्ति करवाई जाय।

8.प्रत्येक नियमित अधिवक्ताओं को उत्तम कोटि के स्मार्ट फोन, लेपटॉप, पुस्तकालय, नेट व लिंक आदि से सुसज्जित एवं प्रशिक्षित किया जाय ताकि वे किसी भी स्थिति में न्यायालय के न्यायिक कार्य में भाग ले सकें।

9.न्यायालय द्वारा अधिसूचित सभी वादों की अगली तिथि उसी दिन निर्धारित किया जाय तथा उस दिन सुनवाई नहीँ होने वाले वादों की अगली तिथि प्रथम पाली में ही प्रकाशित कर दी जाय।साथ ही उसे वादों की संख्या एवं कम्प्यूटर सूचना प्रणाली (CIS) की क्रम संख्या के साथ कम्प्यूटर सूचना प्रणाली (CIS) पर नियमित रूप से प्रकाशित करवाई जाय।

10.राज्य में संचालित सभी राजस्व, अधिशासी एवं कार्यपालक न्यायालयों तथा न्यायाधिकरणों की कार्यवाहियों को भी नियमित करते हुए सुचारू रूप से चलवाया जाय।

11.सभी न्यायालय परिसर या उसके आस-पास अधिवक्ताओं, अधिवक्ता-लिपिकों, टंककों एवं अन्य सम्बन्धित पक्षों के लिए विशेष कोविड-19 चिकित्सालय एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोली जाय।

12.काम के अनुसार वेतन एवं काम नहीं तो वेतन नहीं का सिद्धांत माननीय न्यायालय, अधीनस्थ न्यायालयों एवं न्यायाधिकरणों आदि में भी लागू किया जाय तथा न्यायालयों को भ्रष्टाचार से मुक्त रखा जाय।

                   

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