कल्याणपुर पंचायत में मूर्ति स्थापना एवँ कलश शोभायात्रा निकाली गई

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बिहार  न्यूज़ अपडेट   

Health   covid19       कलश शोभा यात्रा निकाली एवँ मूर्ति स्थापना के लिए अखण्ड कीर्तन एकदिवसीय ।श्रद्धालुओं में दिखा उत्साह (बच्चे भी दिखे काफी उत्साहित घोड़े,ऊँट, हांथी देखकर)


पटना   पुनपुन    मसौढ़ी   आस पास   

पुनपुन प्रखंड के कल्याणपुर पंचायत  ग्राम खपुरा में  सोमवार भव्य कलश यात्रा के साथ अखण्ड


एकदिवसीय कीर्तन शुभारंभ हुआ। पारंपरिक गाजे बाजे ,हांथी -घोड़े ऊंट के साथ निकाली गई कलश यात्रा में कल्याणपुर ,खपुरा,सहित आसपास के क्षेत्र के सैंकड़ो महिला-पुरुष व युवा श्रद्धालुओं ने भाग लिया। ग्राम खपुरा में मूर्ति स्थापना। कलश यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं का जत्था  खपुरा से होते हुए

लालाचक, पुरैनिया SH78 होते हुए नेवा पुनपुन नदी घाट पहुंचा।वैदिक मंत्रोच्चार के साथ जलभरी कराया गया। सभी कलश लेकर यज्ञ मंडप पहुंचे। जहां आचार्य जनों  और सहायक रामलगन यादव नेँ  मंत्रोच्चारण के साथ कलश एवँ मूर्ति  को स्थापित कराया। जिसके मुख्यकर्ता मुखिया अशोक कुमार यादव,अखण्ड कीर्तन समिति के अध्यक्ष राज कुमार, कोषाध्यक्ष विनोद कुमार,सचिव विनोद कुमार सिंह ,रवि कुमार,एवँ अन्य ग्रामवासी  बाजे और घोड़ा के साथ जलभरी के लिए धूमधाम से शोभा यात्रा

निकाली गई। जलभरी के बाद कलश यात्रा पुन: यज्ञ स्थल के लिए नदी से प्रस्थान किया। रास्ते में धार्मिक गीत, गाना और जयकारा के बीच सभी यज्ञ मंडप पहुंचे। जहां एकदिवसीय तक चलने वाले प्रवचन, भजन-कीर्तन व आरती का कार्यक्रम शुरू हुआ। इस धार्मिक आयोजन को लेकर ग्राम

खपुरा,ब्रह्मपुर,बसियावां, बाजितपुर ,लालाचक, कल्याणपुर सहित आसपास के गांव में खूब उत्साह देखा गया ।

कुछ अलग खबरें  (राजनीतिक)

26 जून को किसान विरोधी काले कानूनो के विरुद्ध बिहार के हर गांव में होगा प्रदर्शन


      बिहार राज्य किसान सभा(जमाल रोड) के संयुक सचिव प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि  संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 26 जून को दिल्ली किसान आंदोलन के 7 माह पूरे होने पर राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन की रोशनी में बिहार राज्य किसान सभा(जमाल रोड) द्वारा बिहार के सभी जिले के तमाम प्रखंड तथा गांवो में किसान विरोधी तीनों काले कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किया जायेगा । 

         क्योंकि आज ही के दिन 2020 में काले बिल को विधेयक का रूप मोदी सरकार ने दिया था। आज ही के दिन 1975 में तत्कालीन सरकार द्वारा जनतांत्रिक अधिकारों पर पाबंदी लगाने के लिए आपातकाल की घोषणा की गई थी ।

         इसलिए इतिहास के पन्नों को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार का विरोध और तीनों काले कानून जब तक वापस नहीं होते हैं । तब तक इस आंदोलन को लगातार देश के कोने कोने में किसान चलाएंगे । जब तक एमएसपी को कानूनी दर्जा नहीं दिया जाता । जब तक एमएसपी देश के तमाम राज्यों में सभी किसानों को हासिल नहीं हो जाता , तब तक आंदोलन चलता रहेगा । इसलिए जब तक  पूरी तरह से काले कानूनों की वापसी नहीं होती और हर किसानों को एमएसपी का लाभ नहीं मिलता , तब तक किसानों का संघर्ष चलता रहेगा । इसलिए सभी बिहार के किसान अपने अपने गांवों में भारी संख्या में शामिल होकर इस प्रदर्शन को सफल बनावे ।




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