गीता जयंती पर गीता-पाठ और कृष्णा गुरुकुल में नाट्य रूपांतरण कार्यकर्म हुई।

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मसौढ़ी कृष्णा गुरुकुल ।

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(पुनपुन एक्सप्रेस न्यूज)

गीता - जयन्ती पर गीतापाठ, भजन-प्रवचन एवं गीत-संगीत का भव्य आयोजन हुई।


अगहन एकादशी के शुभ अवसर पर आज कृष्णा गुरूकुल स्कूल प्रांगण मसौढी एवं लखीबाग ठाकुरवाङी मसौढी में गीता जयन्ती के कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें बहुत से श्रद्धालु स्त्री-पुरुष व छात्र-छात्रा हर्षोल्लास के साथ शामिल होकर गीतापाठ किये और सत्संग-प्रवचन का लाभ उठाये । कृष्णा गुरुकुल स्कूल में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए विद्वान शिक्षाविद व विचारक श्री रमाकांत रंजन किशोर जी ने कहा कि


भगवद्गीता का सारगर्भित ज्ञान हमारे दिव्य स्वरूप अर्थात आत्मतत्व से अवगत होने में विशेष सहयोग करता है । गीता हमें सिखाती है कि शरीर और संसार नश्वर व परिवर्तनशील है जबकि आत्मा और परमात्मा अविनाशी और शाश्वत हैं । इसलिए शरीर को संसार की सेवा में तथा आत्मा को परमात्मा में निरंतर लगाने का अभ्यास करना चाहिए। बहुत से छात्र-छात्राओं ने भी भगवद्गीता पर अपना विचार व्यक्त किए और सुन्दर-सुन्दर भजन-संगीत प्रस्तुत किये।

लखीबाग ठाकुरवाङी में श्रद्धालुओं को गीता सार सुनाते हुए आचार्य विश्वरंजन ने परम पूज्य गीताघाट बाबा के पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा कि-- है सार यही गीता का अभिमान करना छोड़ दें। अपने स्वभाविक कर्म का नाता प्रभु से जोड़ ले।।जिसका जैसा कर्म स्वभाविक उसमें दोष नहीं है। दोष नियत में रहे बराबर सच्ची बात यही है।


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